भगवदगीता विश्वभर
में भारत के आध्यात्मिक ज्ञान के मणि के रूप में विख्यात हैं ! भगवान् श्रीकृष्ण
द्वारा अपने घनिष्ट मित्र अर्जुन से कथित गीता के सारयुक्त ७०० श्लोक आत्मसाक्षात्कार
के विज्ञान के मार्गदर्शक का अचूक कार्य करते हैं ! मनुष्य के स्वभाव, उसके परिवेश
तथा अनन्तोगत्वा भगवान् श्रीकृष्ण के साथ उसके सम्बन्ध को उदघाटित करने में इसकी
तुलना में अन्य कोई ग्रन्थ नहीं हैं !
सोलह रंगीन
चित्रों से युक्त यह नवीन संस्करण निश्चय ही किसी भी पाठक को इसके प्राचीन, किन्तु
सर्वथा सामयिक सन्देश से प्रबोधित तथा प्रकाशित करेगा !